श्रीः
श्रीमते रामानुजाय नमः
गोदा मङ्गळम्
स्वोच्छिष्टमालिका-गन्धबन्धुरजिष्णवे।
विष्णुचित्ततनूजायै गोदायै नित्यमङ्गळम्॥
मादृशाकिञ्चनत्राणबद्धकङ्कणपाणये।
विष्णुचित्ततनूजायै गोदायै नित्यमङ्गळम्॥
श्रीमत्यै विष्णुचित्तार्यमनोनन्दनहेतवे।
नन्दनन्दनसुन्दर्यै गोदायै नित्यमङ्गळम्॥